Monday, September 10, 2007
अब क्या करना चाहते हो वामपन्थी भईया ......
हम पुरी दुनिया मे गर्व के साथ सीना फुला कर कहा करते है की हम विश्व के सबसे बडे लोकतन्त्र है। तो मै आप सबो से सिर्फ यही जनना चाहता हु कि दुनिया का वो कौन सा देश है जहा पर देश द्रोही भी देश को चलाते है। हमारे वामपन्थी दोस्त जो अभी तक 1962 के विश्वासघात के लिये क्षमा नही मांगी और अब दुसरी बार फिर वही कार्य की शुरुआत कर दी, जो भुल नेहरु जी ने की उसे सुधारना तो होगा ही, हम अगर विकसित देशो के साथ मिल कर नही चले तो ईन वामपन्थी भईया के भईया हमे कही का नही छोडेंगे। मैं गलती से ईस बार कोलकाता गया और वहा की दुर्दशा देख कर रोना आ गया हमारे संविधान पर आखिर कैसे हम किसी ऐसे राजनितिक दल को शासन करने दे सकते है जिसने वहा के सोच को सिर्फ अपने संकुचित स्वार्थ और राजनिति के लिये बर्बाद कर दिया, क्षेत्रियता की भवना देशहीत के ऊपर कभी सही नही हो सकती । विवेकानन्द,टैगोर और न जाने कितने नाम है जिन्होने देश का नाम आगे किया लेकिन बंगाल कि वो ऊर्वर धरती कहा गयी, मना हमने, वामपन्थी भईयो ने भुमि सुधार आन्दोलन के समय अच्छा कार्य किया, लेकिन उसकी किमत ईतनी बडी होगी किसी ने सोचा भी नही होगा । आज जबकी सभी जानते है सारे नक्सलवाद की शुरुआत ईन्ही लोगो की बदौलत शुरु हुई लेकिन आज के समय मे भी ईनका समर्थन करना समझ मे नही आता, सरा देश त्रस्त है ईससे लेकिन ईससे ईनको कोई फर्क नही पडता ईनको फर्क पडता है ईनके वामपन्थी भईया से, अगर उनको छिक भी आ जाये तो ईन्हे पता चल जता है लेकिन देश मे कितने लोग मर रहे है उनसे कोई लेना देना नही, लाल झण्डे ले कर विरोध करने को कही भी पहुच गये लेकिन ईससे ईनको कोई फर्क नही पडता के जिस देश मे ये रह रहे है उस देश की विदेश नीति का क्या होगा......धन्य है प्रभु वामपन्थी.
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