Friday, April 10, 2009

कुछ लिखना चाहता हु मैं


एक दुर्घटना, आज मुझे फिर से ये हिन्दी ब्लाग के कीडे ने काट हि लिया, हजार कोशिशे की सारी की सारी बेकार, अन्त मे थक हार कर सोचा चलो अब ईस खुजली को मीटाने को कुछ न कुछ तो लिखना ही पडेगा | और वैसे भी बकरपन्ती करने की आदत तो बचपन से ही है , तो मुझे हमेशा लगता है की ब्लोगिं्ग की दुनिया मे कुछ न कुछ धमाल तो कर ही दुं्गा | फिर सबसे पहले सोचा थोडा सा रिसर्च हो जाये की आखिर ब्लोगर लोग हवा क्या दे रहे है लेकिन जब सच्चाई का सामना हुआ तो पुछो मत ईतने बडे बडे ब्लोगर के ब्लोग देख कर ही मेरे हाथ पाव फुल गये और सोचा यहा पर अपनी दाल नही गलने वाली भई सो चलो अब पतली गली से निकलने में ही भलाई है लेकिन ये कम्बख्त हिन्दी ब्लोग के किडे ने ईतनी जोर से काटा है कि बीना कुछ ब्लोग के मरहम लगाये जा भी नही सकता लिखे लेकिन समस्या अब ये है कि लिखे तो क्या | सोचा चलो अब कमेन्ट ही कर देते है किसी के ब्लोग पे , क्या बताउ वो भी नही हो पाया पर मैने अब यही सोचा है की पहले कापी पर लिखुं्गा उसके बाद कम्प्युटर पे ज्यो का ज्यो उतार दुं्गा|

पहली बार कुछ प्रोमिस किया है देखता हुं कब पुरी होती है |

2 comments:

Alpana Verma said...

ब्लॉग्गिंग का रोग ही ऐसा है एक बार लगा तो फिर छोड़ता नहीं!
ही ही ही!
कमेन्ट पर क्लिक करेंगे तो कमेन्ट बॉक्स खुल जायेगा..तब वहां सीधा ही टाइप करें unicode की सुविधा है न..अब तो transliteration की google ने भी सुविधा दी है..कॉपी पर लिखने की क्या जरुरत है??सीधा की बोर्ड पर टाइप करीए..

धीरज चौरसिया said...

अल्प्ना जी,सबसे पहले तो हमारे ब्लाग पर पधारने के लिये धन्यवाद, कहने को तो कई बहाने है मेरे पास (बने-बनाये) ब्लाग ना लिखने को, लेकिन लिखे बिना रहा भी नही जाता|