Sunday, August 3, 2008

खुदा से मन्नत है मेरी.......कश्मीर दोबारा...

ये गाना मुझे बहुत हि अच्छा लगा शायद आप सभी को भी लगे आशा है


पता नही हमारे और पाकिस्तान के हुक्मरानो के दिमाग मे क्या है, पुरे ६० सालो मे पता तो नही चल पाया कि हम या वो क्या चाहते है| क्या हम चाहते है कि वर्तमान सीमा रेखा को ही अपने देश की सरहद मान ले या फिर हमे अविभाज्य काश्मीर चाहिये, हमे कुछ नही पता कि हमे क्या चाहिये और हम हर साल हजारो जानो कि कुर्बानी दे रहे है आखिर क्यो, हर साल हम अरबो रुपये सिर्फ सुरक्षा पर व्यय करते है क्या हम यही पैसे काश्मीर पर खर्च नही कर सकते, आखिर क्यो हम राष्ट्र्पति शासन से लेकर सारे के सारे प्रयोग किये आखिर हम क्यो असफल हुये, क्या हमने कभी ईसपे गौर किया शायद कभी नही, हमारे कोई भी राजनीतिक दल वोट बैँक की राजनीति से आगे सोच नही पाये, आखिर क्यो ?
अब हम पाकिस्तान के तरफ से सोचते है वे आतंकवाद कि सहायता करते है कि वे चाहते है की काश्मीर आजाद हो जाये, तो हम मानते है कि काश्मीर अगर आजाद हो जाये तो फिर उसके बाद काश्मीर कि स्थिति क्या होगी, क्या काश्मीर को पाकिस्तान एक स्वतंत्र देश का दर्जा देगा शायद कभी नही, और ये एक बहुत बडा छलावा है क्योकी अभी तक सभी काश्मीरी लोग यही सोचते है की उनका अपना अलग देश होगा, और ईसी के बिना पर वे आतंकवाद का सर्थन करते है और सारे कट्टरपंथी नेता ईसी पर अपनी रोटीयाँ सेकते है|
पता नही कब हमारे हुक्मरानो और पाकिस्तानी नेताओ को समझ आयेगी, सत्ता से बाहर होते ही उन्हे सारी अच्छी बातो की याद आने लगती है पर सत्ता मे रहने पर शायद एक बार भी नही याद करते, और ईन सभी के बीच हम सब लोग पिसने को अभिशिप्त है जैसे.....

डल झील

डल झील

डल झील

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